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राधेश्याम सत्यार्थी जी

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Ki. मैं प्रभु का धन्यवाद करता हूँ की मुझे अत्यंत क़रीब से राधेश्याम जी का जीवन देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ |  आपके अंदर गूढ़ शब्दों को सहजता से समझने और समझाने की अद्भुत कला थी |  आप की मातृभाषा मराठी ना होने के बावजूद, अक्सर कवि सज्जन मराठी भाषा मे कविताएँ लेकर आपके पास आते और उसे जाँचने के लिए प्रार्थना करते तो आप उसमें काव्यदोष को बड़ी सहजता से ठीक कर देते | कई बार आप किसी काव्य पंक्ति में सिर्फ थोड़ा सा बदलाव कर उस कविता में चार चाँद लगा देते | आपकी रचनाओं की गहराई का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, स्वयं सत्गुरु बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने अपने विचारों में आप के काव्य पंक्तियों से जुड़े भाव व्यक्त किए ।  आपको करीब से जान ने वाले इस बात से भली - भांति परिचित हैं की आप का  व्यक्तित्व  शांत और गंभीर जरूर था परंतु संवाद करते हुए बीच में हास्य पैदा करने की कला भी आपको ख़ूब आती थी |   हंसी - मज़ाक में अक्सर आप बड़ी गहरी बातें  सहजता से   कह जाते थे |  मुझे याद आता है, एक बार आप से बात करते हुए आपने कहा, दुनिया में खाने - पीने...

आडंबर कविता

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आडंबर ( कविता अंश) -------------------- लज़ीज़  मिठाई सी तुम्हारी बातें  जिनमे रस टपकता था आकर्षित हो रहे थे लोग और चाहते थे तुम्हे पाना, मगर एक समय सीमा थी तुम्हारी,  तुम्हारे रसीले शब्दों की,  वो देखो जैसे-जैसे समय बिता  चालाकियों और फरेब की चींटियों ने घेर लिया तुम्हेँ, जब काम और तृष्णा की मक्खियां  भिनभिनाने लगी तुम पर  तुम तो दुर्गन्ध वाले बन गए, मैंने कहा था ना अमर नही हो तुम, ना तुम्हारे बनावटी शब्द, ये बात अलग है तुम्हारे गुण गाने वाले  तुम्हारे साथ थे उस क्षण तक, जब तक मिठास गायब नही हुई थी, पर अब देखो कहीं भी किसी होंठ पर, तुम्हारा नाम नही है,  प्रतीक्षा करो कुछ देर और जब तुम्हें, कूड़ेदान का रास्ता दिखाया जाएगा । Avinash Jaiswar