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Nature Of Saint | संत प्रवृति | Sant Swabhav | संत स्वभाव | Sant Pravriti

संत प्रवृति  जितना समझे  उतना उलझे  पर मक़सद  हाथ ना आया है  जीवन गणित को अपने दम पर हल कहां कोई कर पाया है ग़ाफ़िल इंसान  को जब  वजूद का  कोई  प्रश्न  सताया है ख़ुदा कई  बार नया  रूप बदल हर  उत्तर साथ में लाया है  रुसवाई  हासिल हो  बेशक  पर अपना  काम  नहीं छोड़ा दुनिया की तल्ख़ियों को  हंसकर संतों  ने गले  लगाया है अपने हिस्से  ज़ख्म  मिले हों  फिर भी  सह कर मुस्काना या-रब कुछ लोगों ने कितना मुश्किल किरदार निभाया है ख़ुश्बू  मक़्सद है  जिनका  ख़ार से  उनको  मतलब  क्या फूलों ने  अपने  जीवन  से  मुख़्तसर  यही  समझाया  है  इल्तज़ा है  "साहिब" इतनी सी राहत संसार को देना  तुम कुछ इंसानों  ने  धरती  को  नुकसान  बहुत  पहुंचाया  है  Avinash Jaiswar

विश्वास, भक्ति, आनंद एक दिव्य यात्रा | Vishwas, Bhakti, Aanand Ek Divya Yatra

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जीवन का उद्देश्य तलाशता हुआ मनुष्य  अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखने वालों ने इसे नीला ग्रह कहकर संबोधित किया ।  इस ग्रह पर फैले विशालकाय महासागर, घने जंगल, बादलों को छूने वाली पर्वत श्रृंखलाएं, बस देखते बनती हैं ।  प्रकृति के इन्हीं खूबसूरत नजारों के बीच रहते हैं 'परमेश्वर की सर्वश्रेष्ठ कलाकृति कहलाए जाने वाले, "मानव" ।  आदिमानव के रूप में वनों में दौड़ -भाग कर शिकार करने से लेकर, आज प्रगति की बुलंदियों तक पहुंचने वाले मनुष्यों ने कितने कमाल का सफर तय किया है । इन उपलब्धियों के लिए आज समस्त मानव जाति बधाई की पात्र है ।  परंतु भोजन के लिए जंगलों में लगाई हुई दौड़ से लेकर आज सुख - सुविधाओं के लिए दिन रात दौड़ने वाला मानव उन्हीं भौतिक (दुनियावी) वस्तुओं में उलझकर रह गया, और उन्हीं में अपना सुकून ढूंढने लगा । ये सारी वस्तुएं कुछ क्षण का सुख तो जरूर दे सकतीं हैं पर एक सीमा के बाद नीरस हो जाती हैं ।  और फिर सारी भाग दौड़ जैसे व्यर्थ प्रतीत होने लगती है।  जैसे संत कबीर कहते हैं  वस्तु कहीं, ढूंढे कहीं,.... केहि विधि आवे हाथ.. ! कहे कबीर वस्तु तब पाईये.. भेद...

क्या आपके मन में कभी यह सवाल आया है ?

इस संसार में रहते-रहते इंसान यह भूल जाता है कि यह शरीर नश्वर है और इसी भूल के कारण उसका मन हमेशा के लिए इस नश्वर दुनिया से बंध जाता है ।   इस भ्रम से बचने का सबसे प्रभावी तरीका यही है कि यह बात हमेशा याद रहे की कोई भी इंसान इस दुनिया में हमेशा के लिए नहीं रहता है। हर किसी को एक न एक दिन इस संसार से जाना ही पड़ता है इसलिए शरीर और सांसारिक पदार्थों से आगे के बारे में सोचना जरूरी है | कुछ ऐसा जो मृत्यु के पश्चात भी कायम रहे | एक साधारण इंसान सारी जिंदगी सिर्फ शरीर के सुख सुविधा जुटाने मे खर्च कर देता है और एक विवेकी मनुष्य कभी न कभी इस प्रश्न के बारे में जरूर सोचता है की उसका अस्तित्व क्यूँ है ?  क्या सिर्फ जीना और एक दिन मर जाना यही इस जीवन का उद्देश्य है ?  जिस किसी के मन मे यह प्रश्न आया और इसका उत्तर ढूंढने की कोशिश की वो कहीं न कहीं एक कदम सही रास्ते की ओर बढ़ा ही लेता है  | "आए हैं सो जाएँगे , राजा रंक फकीर,  एक सिंहासन चढ़ि चले , एक बँधे जात जंजीर"   चाहे राजा हो या भिखारी सभी को इस संसार से जाना ही है , परंतु जिस किसी ने भी  अ पने इस संसार म...

Have you ever had this question in your mind?

Living in this world makes a person forget that this body is mortal and that their mind is forever tied to this mortal world. One of the most effective ways to overcome illusion is to remember that one does not live in this world forever. Everyone will leave this world at some point, so it is necessary to think beyond the body and material things, which will still be useful even after death. Most wise people ask themselves why they exist. Is the only purpose of this life to live and die one day? Whoever has this question in his mind and tries to find the correct answer is on the right path. आय हैं सो जाएँगे, राजा रंक फकीर ।  एक सिंहासन चढ़ि चले, एक बँधे जात जंजीर Be it a king or a beggar, both have to die one day. पानी केरा बुदबुदा, अस मानुस की जात. एक दिना छिप जाएगा,ज्यों तारा परभात. The human body is also mortal, like a bubble of water. As the stars are hidden at dawn, so will this body be destroyed one day. Avinash Jaiswar