क्या आपके मन में कभी यह सवाल आया है ?
इस संसार में रहते-रहते इंसान यह भूल जाता है कि यह शरीर नश्वर है और इसी भूल के कारण उसका मन हमेशा के लिए इस नश्वर दुनिया से बंध जाता है । इस भ्रम से बचने का सबसे प्रभावी तरीका यही है कि यह बात हमेशा याद रहे की कोई भी इंसान इस दुनिया में हमेशा के लिए नहीं रहता है।
हर किसी को एक न एक दिन इस संसार से जाना ही पड़ता है इसलिए शरीर और सांसारिक पदार्थों से आगे के बारे में सोचना जरूरी है | कुछ ऐसा जो मृत्यु के पश्चात भी कायम रहे |
एक
साधारण इंसान सारी जिंदगी सिर्फ शरीर के सुख सुविधा जुटाने मे खर्च कर देता है और
एक विवेकी मनुष्य कभी न कभी इस प्रश्न के बारे में जरूर सोचता है की उसका अस्तित्व
क्यूँ है ?
क्या सिर्फ जीना और एक दिन मर जाना यही इस जीवन का उद्देश्य है ?
जिस किसी के मन मे यह प्रश्न आया और इसका उत्तर ढूंढने की कोशिश की वो कहीं न कहीं एक कदम सही रास्ते की ओर बढ़ा ही लेता है |
"आए हैं सो जाएँगे, राजा रंक फकीर, एक सिंहासन चढ़ि चले, एक बँधे जात जंजीर"
चाहे राजा हो या भिखारी सभी को इस संसार से जाना ही है, परंतु जिस किसी ने भी अपने इस संसार मे आने के मकसद को जान लिया उसके लिए इस संसार से जाना आसान हो जाता है जैसे कोई राजा सिंहासन चढ़कर शान से जा रहा हो, और एक तरफ वो इंसान जो बेड़ियों मे जकड़कर जा रहा है |
संसार से दो लोगों का जाना हुआ लेकिन दोनों की अवस्था अलग- अलग है | कोई भी मनुष्य कभी भी बेड़ियों मे जकड़कर नहीं जाना चाहेगा |
"पानी केरा बुदबुदा, अस मानुस की जात , एक दिना छिप जाएगा, ज्यों तारा परभात"
पानी की बूंदों की तरह ही इंसान की जिंदगी भी क्षणभंगुर होती है | सारी उपलब्धियां, अभिमान सबकुछ एक बुलबुले की भांति गायब जाता है जैसे वो कभी था ही नहीं | जैसे सबेरा होने पर तारे आसमान में दिखाई देना बंद हो जाते हैं ऐसे ही ये शरीर भी आँखों से ओझल हो जाता है |
विवेकी मनुष्य हमेशा उन संभावनाओं की तलाश मे रहता है जहां उसे उसके प्रश्नो के उत्तर मिल जाये | वो केवल एक क्षणिक आरामदायक जीवन की चाह नहीं रखता |
Very nice mhatma ji
ReplyDeleteThank you
Delete🙏
ReplyDelete:)
DeleteWahh Ji
ReplyDeleteThank you ji
DeleteWahh ji
ReplyDeleteThank you ji
DeleteWaah kya khub likha h aap ne ...
ReplyDeleteJivan ki disha hi badalne wala thought.
Really inspiring.