मन बिना वजह क्यों दौड़ता है ? | Mann bina wajah kyun daudta hai

                                 

किसी रेल्वे Station की बेंच पर बैठे - बैठे नजर घुमाइए, आप देखेंगे हर कुछ मिनट में ट्रेन आती है, चली जाती है | आपको दिखाई देगा की सामान बेचने वाले सामान बेच रहे होंगे | जिस इंसान की ट्रेन छूटने वाली है वो तेज़ रफ्तार से प्लैटफ़ार्म की ओर दौड़ता हुआ नजर आयेगा | कोई इंसान अपने किसी पहचान वाले को लेने आया है तो उसकी निगाह सिर्फ और सिर्फ उस एक चेहरे को ढूँढ रही होगी | 

कोई बिना टिकिट लिए यात्रा कर रहा होगा तो वो बचने के लिए नजर छिपा कर भागने की कोशिश कर रहा होगा | वहाँ कोई ऐसा भी होगा जो बहुत दिनों बाद घूमने जा रहा हो इसलिए वो बहुत खुश है | 
कोई दुखी इंसान भी दिखाई दे रहा होगा क्यूंकी उसके पहचान वाला कोई शख़्स इस दुनिया को अलविदा कह गया, अब सारे काम छोडकर उसके परिवार को सांत्वना देने जाना पड़ रहा है | 
यदि कोई पहली बार ट्रेन का सफर करने जा रहा है तो उसके लिए रेल्वे स्टेशन से लेकर ट्रेन पटरियाँ तक सब कुछ एक कौतूहल का विषय होगा | 

अब एक बार खुद की ओर नजर करिए और पूछिये क्या इनमें से किसी को भी आपके दुख, आपके सुख, आपकी निराशा या आनंद से फर्क पड़ रहा है ? आपको शायद ये खयाल आए जब कोई मेरी पहचान का नहीं है तो भला किसी को फर्क क्यूँ पड़े ? 
परंतु हकीकत तो ये है की दुनिया ऐसे ही चलती है | आप के अंदर चल रहे मनोभाव से किसी को फर्क नहीं पड़ता | सिर्फ और सिर्फ आप ही उस से प्रभावित होंगे क्यूंकी सामने से गुजरने वाला हर शख़्स पहले ही अपनी उलझनों का शिकार है | हर कोई अपने ही अंदर चल रहे भावों से जूझ रहा होता है | 

ये बेंच आपका मन है | आप इस पर बैठे हुए हैं और सामने से गुजरने वाले हर इंसान को आप देख रहे हैं क्यूंकी आप भी उन की तरह उस प्लैटफ़ार्म का हिस्सा हैं | आँखों से सबकुछ देखिये, द्रष्टा भाव रखिए ! परंतु हर किसी के भागने की क्या वजह है इस की चिंता मत करिए वर्ना आप आरामदायक बेंच पर बैठकर भी बेचैन रहेंगे, इसलिए खुद का बचाव करिए |

मन के मते न चलिये, मन के मते अनेक, 
जो मन पर असवार है, सो साधु कोई एक
मन के कहने पर न चलिये, क्योंकि मन के अनेको मत हैं | जो इस मन को अपने अधीन रखता है, वह साधु कोई विरला ही होता है |

आप जिस बेंच पर बैठे हैं और जितनी देर के लिए बैठे हैं कोशिश करिए चिंता रहित होकर बैठ पाएँ | लोग आएंगे, लोग जाएंगे, और आप भी बहुत कुछ घटित होता देखेंगे | लेकिन जिस पल आप अपने मन को किसी के पीछे भागने का आदेश देंगे, यकीन मानिए आप विचलित होने के सिवा कुछ नहीं पाएंगे |





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