मेरे घर अचानक आए Santa Claus | Mere Ghar Achanak Aaye Santa Claus




आज 25 दिसम्बर की शाम, हमारे घर से कुछ दूरी पर स्थित चर्च की दो बुजुर्ग सिस्टर्स (नन),
अचानक पिताजी और माँ से मिलने हमारे घर आ गए | 
मैं उन्हें जानता नहीं था और इससे पूर्व कभी देखा भी नहीं था इसलिए मैं थोड़ा चौंक गया ! 
पिताजी ने हमेशा की तरह मुस्कुराकर जान - पहचान कराते हुए कहा "ये हमारा बेटा है जी, अविनाश" | 

हालांकि, मैं तैयार ही था पर उस से पहले ही पिताजी ने इशारा कर दिया, "बेटा, पैर छूओ" |
अब आप उम्र में भले ही कितने भी बड़े क्यूँ न हो जाएँ, चाहे कितने भी समझदार बन जाएँ, लेकिन हर हिन्दुस्तानी माँ - बाप  का यह अधिकार क्षेत्र उनसे कोई नहीं छिन सकता |

मैंने भी उनसे आशीर्वाद लिया, और उनसे आगे की सारी बातें की, उन्होने भी हाल - चाल पूछा और फिर सारी बातें हुई |

भारत के दक्षिण भाग से आने के कारण वो दोनों बहनें (चर्च की सेवा में रहने वाली महिलाओं को नन अथवा सिस्टर कहा जाता है ) टूटी - फूटी हिन्दी का प्रयोग करने की कोशिश कर रहे थे | 

मुझे माँ-पिताजी के सामने इतराने का मौका बहुत ही कम मिल पाता है, इसलिए मैंने इस मौके को हाथ से जाने नहीं दिया और लंबे - लंबे अँग्रेजी शब्दों का प्रयोग करके उनसे बातें की | 
जानता हूं आप ये पढ़कर मुस्कुरा रहे होंगे, लेकिन आपके साथ भी शायद कभी ऐसा हुआ हो । 

क्रिसमस और नया साल होने के कारण वो दोनों अपने साथ कुछ खाने का समान लाये थे, जो विशेषकर इस त्योहार पर बनाया जाता है |

मैंने उनसे मुस्कुराते हुए कहा की, "मैंने बचपन से सुना है की आज के दिन Santa Claus आते हैं, "लेकिन आज आप दोनों के दर्शन करके समझ आया की ये बात सच है । मुझे बहुत ही खुशी हो रही है, ये एक हमारे लिए तरह का surprise है" | 
मुझे उनके चेहरे पर एक शांति और प्रसन्नता का भाव दिख रहा था |

उन दोनों से बातें करते हुए मुझे एक बात समझ मे आई की इनसे माँ - पिताजी की कोई विशेष जान पहचान नहीं है, परंतु इनके प्रेम से बातें करने का स्वभाव उन्हें बहुत भाता है | और आज सबेरे ही मुलाक़ात के दौरान पिताजी ने घर का पता दिया और वो मुलाक़ात करने आ गए | उन्होने जाते - जाते कहा,"तुम बहुत ही भाग्यशाली हो जो तुम्हें ऐसे माँ बाप मिले हैं, इनकी सेवा करो हम प्रार्थना करेंगे तुम्हारा परिवार हमेशा खुश रहे |  
ये कहते हुए उन्होने जाने की इजाज़त मांगी | 

मेरे अंदर रह - रहकर यह ख़याल चलता रहा इस से पहले भी माँ - पिताजी के बारे में ऐसा बोलने वालों से मुलाक़ात हुई है | सचमुच हमारी बोली की मधुरता और स्वभाव दूसरों को बहुत प्रभावित करते हैं | 

काश, हमे अंदर भी ऐसे गुण आ जाये जो दूसरों को खुशी दे सकें | 
असली Santa Claus को तो हमने कभी नहीं देखा लेकिन उनके बारे में जिक्र सुना है की वो बच्चों को उपहार देते हैं लोगों में खुशियाँ बांटते हैं | 

लेकिन सच्चाई तो यह है की हर इंसान के अंदर एक Santa Claus है |
अगर आप किसी की खुशी का कारण बन रहे हैं तो आप भी उनके लिए Santa Claus हैं |
किसी को अगर आप अपना वक़्त रूपी तोहफा दे रहे हैं तो भी आप किसी Santa Claus से कम नहीं |
किसी के दुख में शामिल होकर उन्हें मानसिक आधार दे रहे हैं तो उनके लिए आप ही Santa Claus हैं |
अपने दोस्तों के लिए हमेशा उनका सहारा बनकर खड़े हैं तो आप उनके Santa Claus हैं |


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