समय बड़ा बलवान | Time is stronger than anyone
आज कल एक ख़बर सुर्खियों में है । मुगल साम्राज्य के अंतिम शासक बहादुर शाह ज़फ़र की प्रपौत्र वधु (Great Grand Daughter in Law) सुल्ताना बेगम जिन्होंने दावा किया है की वो मुगलों की वंशज हैं । अब वो प्रसिद्ध लाल किले पर अपना हक़ दुबारा पाना चाहती हैं । लेकिन आज कल वो बहुत ही दयनीय स्थिति में कोलकाता की एक मज़दूर बस्ती में रहती हैं ।
मुग़ल शासन जब अपने चरम पर था तब पूरी दुनिया में कम से कम एक चौथाई हिस्सों पर मुगलों का राज़ था । भारत पर भी बहुत लंबे समय तक हुकूमत करने वाले मुग़ल साम्राज्य के वंशजों का ये हाल होगा कभी किसी ने सोचा नहीं होगा ।
एक वक्त देश में ऐसा भी था जब मुगलों के खौफ़ से लोग सहमे हुए रहते थे । बहुत बड़ा रक्तरंजित इतिहास इस देश की मिट्टी में दफ़न है, जहां कई वीरों ने इनके जुल्म के खिलाफ़ आवाज बुलंद करके वीरता का परिचय दिया ।
इतिहास बताता है की इसी ज़ुल्म-ओ-सितम के चलते अनगिनत उद्वस्त हुए परिवारों ने इन्हें श्राप दिया था कि तुम्हारा नाम-ओ-निशान मिट जायेगा और एक दिन कोई तुम्हें पूछने वाला भी नहीं होगा ।
दुर्बल को न सताइये, जाकी मोटी हाय |
मरी खाल की सांस से, लोह भसम हो जाय ||
शक्तिशाली व्यक्ति को कभी भी किसी दुर्बल पर अत्याचार नहीं करना चाहिए क्योंकि दुर्बल की हाय या शाप बहुत प्रभावशाली होता है । जिस तरह लोहार कि चिमनी निर्जीव होते हुए भी लोहे को भस्म करने कि शक्ति रखती है ठीक उसी प्रकार दुःखी व्यक्ति कि बद्दुआओं से समस्त कुल का नाश हो जाता है ।
हालांकि बहादुर शाह ज़फ़र एक शासक की जगह शायर के तौर पर ज्यादा जाने जाए । उनका मन कभी भी लोगों पर शासन चलाने का नहीं रहा । उनके द्वारा लिखी हुई कई गज़लें और शायरी आज भी साहित्य के रूप मौजूद हैं ।
बहादुर शाह ज़फ़र का लिखा हुआ एक शेर :
हुए खुसुरुआने-जहां अच्छे - अच्छे
न अब वह न उनके मकां अच्छे- अच्छे
अर्थ : इस दुनिया में बहुत राजा महाराजा होकर चले गए, लेकिन आज ना तो उनका वजूद बचा है न उनके बड़े बड़े महल |
आज हमारी आंखों के सामने एक जीता जागता उदाहरण है, जहां पूरी दुनिया इस साम्राज्य के आगे सर झुकाती थी, आज उनके वंशज को कोई पूछने वाला नहीं बचा । यदि ईश्वर ने कोई गुण या शक्ति दी है तो उसका अभिमान कभी मत करना । जैसे ही वो विशेष शक्ति अपनी ऊर्जा कम करेगी तुरंत वो इंसान ढलता सूरज बन जायेगा । जो बहुत शान से सर ऊंचा करके चलता है उसके गिरने का खतरा भी उतना ही रहता है ।
दूसरी ओर हज़ारों वर्षों से साधु संतों का भी इतिहास रहा है परंतु उन्हें बड़े ही प्रेम और सम्मान के साथ याद किया जाता है । यहां तक कि उनके द्वारा उपयोग में लाई हुई वस्तुओं तक को लोग श्रद्धा की दृष्टि से देखते हैं । इसलिए प्रेम से जीने वाला, दूसरों के प्रति करुणा भाव रखने वाला सदा अमर रहता है ।
और अभिमान में चूर रहने वाले स्वयं तो डूबते ही हैं आने वाली पीढ़ियों तक के लिए सम्मान का मार्ग बंद कर देते हैं ।
बहुत खुब अविनाश जी
ReplyDeleteVery true
ReplyDeleteThank you
DeleteSo nice Avinash ji
ReplyDeleteThank you ji
DeleteVery beautiful thought.really
ReplyDeleteit's heart touching 😊