आडंबर कविता
आडंबर (कविता अंश)
--------------------
लज़ीज़ मिठाई सी तुम्हारी बातें
जिनमे रस टपकता था
आकर्षित हो रहे थे लोग और
चाहते थे तुम्हे पाना,
मगर एक समय सीमा थी तुम्हारी,
तुम्हारे रसीले शब्दों की,
वो देखो जैसे-जैसे समय बिता
चालाकियों और फरेब की चींटियों
ने घेर लिया तुम्हेँ,
जब काम और तृष्णा की मक्खियां
भिनभिनाने लगी तुम पर
तुम तो दुर्गन्ध वाले बन गए,
मैंने कहा था ना अमर नही हो तुम,
ना तुम्हारे बनावटी शब्द,
ये बात अलग है तुम्हारे गुण गाने वाले
तुम्हारे साथ थे उस क्षण तक,
जब तक मिठास गायब नही हुई थी,
पर अब देखो कहीं भी किसी होंठ पर,
तुम्हारा नाम नही है,
प्रतीक्षा करो कुछ देर और
जब तुम्हें,
कूड़ेदान का रास्ता दिखाया जाएगा ।
You're so thoughtful.
ReplyDeleteAmazing write-up!🤩
Thank you ♥️🙏
DeleteWah Ji 🙏❤️
ReplyDeleteThank you :)
DeleteTuhi nirankar 😊🙏
ReplyDelete🙏
Delete