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"Unleashing the Warrior Within: Finding Courage Amidst Life's Challenges"

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Dear reader friend, If you're reading this now and I might not know you... This letter is for all my friends who have seen many ups and downs this year. Many times you must have felt that you have lost courage, you are unable to do anything and must be thinking what kind of life is this? But you would have gotten up with a broken spirit and started living again. Believe me you are much better than the countless people who give up on life. There are people who never get up again and never face difficulties in life with courage. There is a warrior inside you who will not let you down. You are not an ordinary person. You are not fighting this battle alone. A few days ago I saw a small child selling some goods. I stopped him and asked him, how do you do so much difficult work at such a young age? He replied, 'Sir, no matter what, it is life itself that gets everything done. Although he was a child in age, he was a mighty warrior. In spite of difficulties in life, he bel

God

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Take a look at the sky. There are many galaxies in the universe. The universe will have formed many galaxies by the time you look at it. Infinite planets, stars, and galaxies will be created before you blink your eyes.  If not God, then who created all of these and destroyed them? If not God, then who is the one who does all this? Who drives the waves of the ocean?  Who is responsible for lighting the stars in the sky? The gardens are filled with blooming flowers. Somewhere the forest is being destroyed.  If not God, then who is the one who does all this? Avinash Jaiswar

It's not just you who is intelligent here

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The way we look atu the world is very limited. Our understanding is limited only to the extent we have seen or the level of our intelligence. There are people more intelligent than us on this earth, so do not try to prove your intelligence right. दुनिया को देखने का हमारा नजरिया बहुत सीमित है। हमारी समझ केवल उस सीमा तक सीमित है, जिस हद तक हमने देखा है या हमारी बुद्धि का स्तर है। इस धरती पर हमसे ज्यादा बुद्धिमान लोग हैं, इसलिए अपनी बुद्धि को सही साबित करने की कोशिश न करें।                                                                              

राधेश्याम सत्यार्थी जी

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Ki. मैं प्रभु का धन्यवाद करता हूँ की मुझे अत्यंत क़रीब से राधेश्याम जी का जीवन देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ |  आपके अंदर गूढ़ शब्दों को सहजता से समझने और समझाने की अद्भुत कला थी |  आप की मातृभाषा मराठी ना होने के बावजूद, अक्सर कवि सज्जन मराठी भाषा मे कविताएँ लेकर आपके पास आते और उसे जाँचने के लिए प्रार्थना करते तो आप उसमें काव्यदोष को बड़ी सहजता से ठीक कर देते | कई बार आप किसी काव्य पंक्ति में सिर्फ थोड़ा सा बदलाव कर उस कविता में चार चाँद लगा देते | आपकी रचनाओं की गहराई का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, स्वयं सत्गुरु बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने अपने विचारों में आप के काव्य पंक्तियों से जुड़े भाव व्यक्त किए ।  आपको करीब से जान ने वाले इस बात से भली - भांति परिचित हैं की आप का  व्यक्तित्व  शांत और गंभीर जरूर था परंतु संवाद करते हुए बीच में हास्य पैदा करने की कला भी आपको ख़ूब आती थी |   हंसी - मज़ाक में अक्सर आप बड़ी गहरी बातें  सहजता से   कह जाते थे |  मुझे याद आता है, एक बार आप से बात करते हुए आपने कहा, दुनिया में खाने - पीने के समान में एक ही (Real) असली चीज बची थी,   इन्सानों ने उसे भी

Effect of jealousy | ईर्ष्या का प्रभाव

किसी को मुझसे ज्यादा सम्मान क्यूँ मिल रहा है ?  सामने वाले इंसान के पास इतनी बेहतर गाड़ी, घर, नौकरी क्यूँ है ? यदि किसी की प्रसन्नता या सुख आपकी ईर्ष्या का कारण बन जाये तो यह इशारा है की  आप पतन की ओर अग्रसर हो चुके हैं | Why is someone getting more respect than me? Why does the person in front of me have such a nice car, house, job? If someone's happiness becomes the reason for your jealousy, then  it is a sign that You are headed for a downfall. Avinash Jaiswar

आडंबर कविता

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आडंबर ( कविता अंश) -------------------- लज़ीज़  मिठाई सी तुम्हारी बातें  जिनमे रस टपकता था आकर्षित हो रहे थे लोग और चाहते थे तुम्हे पाना, मगर एक समय सीमा थी तुम्हारी,  तुम्हारे रसीले शब्दों की,  वो देखो जैसे-जैसे समय बिता  चालाकियों और फरेब की चींटियों ने घेर लिया तुम्हेँ, जब काम और तृष्णा की मक्खियां  भिनभिनाने लगी तुम पर  तुम तो दुर्गन्ध वाले बन गए, मैंने कहा था ना अमर नही हो तुम, ना तुम्हारे बनावटी शब्द, ये बात अलग है तुम्हारे गुण गाने वाले  तुम्हारे साथ थे उस क्षण तक, जब तक मिठास गायब नही हुई थी, पर अब देखो कहीं भी किसी होंठ पर, तुम्हारा नाम नही है,  प्रतीक्षा करो कुछ देर और जब तुम्हें, कूड़ेदान का रास्ता दिखाया जाएगा । Avinash Jaiswar

सफ़र कविता | Safar Poem

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कविता: सफ़र /Safar जाने कब कोशिशों के पंख कतर दिए गए                            हौसला उड़ ही न पाया चाहत की जमीं से चर्चा भी चली सुगबुगाहट भी होती रही                          कोई नहीं आया तसल्ली के बोल लेकर सब तमाशबीनों की तरह आँखें गड़ाये थे                          बेताब था सारा शहर उसे टूटता देखने को जाने कहाँ से एक रौशनी आयी ठहर गई                          ऐसा लगा दूर किसी सफ़र से आई हुई है फिर क्या था आँखें चमक उठी एकदम                           गिरते पड़ते फिर उठ गया वो जाने कैसे  अमीर-ए-शहर  को एक बार फिर मात देकर हताशा के लिपटे हुए धूल झटक कर  पर इस बार जरूर कहीं कुछ बदला हुआ था                          क्यूंकी  चेहरे पर ना कोई ख़ुशी थी ना ग़म  निकल पड़ा फिर कहीं बिना सोचे समझे                          सफ़र जारी रखना यही उसका ख्वाब था Avinash Jaiswar