होशवालों को आजकल ख़ुमारी हो रही है | Hoshwalon Ko Aaj Kal Khumaari Ho rahi hai



होश वालों  को आज कल  ख़ुमारी हो रही है

ये ज़माने  को जाने  कैसी  बीमारी हो  रही है 


जिनमें  रिश्ता  था आग और  मोम की तरह 

सुना है  उनमें  भी अब  रिश्तेदारी हो  रही है 


मोहब्बत  में अना की  कोई जगह नहीं रहती 

महबूब के आगे फिर  क्यूं पर्दादारी हो रही है


अपने हथियार चलेंगे अब अपनों के ख़िलाफ़

ख़ुदा जाने  ये कौन सी समझदारी हो रही है 


सबकी आंखों  में उतर  आया है लहू का रंग

लगता है एक और ज़ंग  की तैयारी हो रही है 


मेरी निकली सांसें लौट आती है फिर मुझ तक

कोई तो है जिसकी मुझसे वफ़ादारी हो रही है


                              Poet: Avinash Jaiswar 


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