प्रार्थना का सही तरीका | Right Way Of Prayer
आज पिताजी ने किसी से बात करते – करते अचानक अपना फोन मुझे थमा दिया, और कहा "लो इनसे बात करो"
मैंने उनके हाथों
से फोन लेकर कहा,
"हाँ, जी हेलो"
तभी मुझे सामने से किसी बुजुर्ग की प्रसन्नता भरी आवाज सुनाई दी,
उन्होंने मेरा हाल - चाल पूछते हुए कहा, "कैसे हो बेटा" ?
मैंने उत्तर दिया ईश्वर की कृपा है, और आपका आशीर्वाद है |
उन्होने कहा, आपके पिताजी से बहुत बार आपका जिक्र हुआ लेकिन कभी बात नहीं हुई, सोचा आपसे बात की जाए |
मैंने भी उनका हाल चाल पूछते हुए कहा, "आपसे बात करके अच्छा लगा"
उन्होंने सामने से कहा आप हमेशा सुखी रहें, और ईश्वर सभी को खुश रखें, और सभी को स्वस्थ रखें |
इसके पश्चात उन्होने कुछ ऐसा कहा जिसको सुनकर कोई भी सोचने पर विवश हो जाएगा !
उसी प्रसन्नता के साथ उन्होने आगे कहा,
'बेटा जी' मैं तो सबेरे जब भी उठता हूँ तो सबसे पहले परमात्मा से सभी के लिए प्रार्थना करता हूँ और कहता हूँ,
"हे ईश्वर, सभी को तन से ठीक रखना, सभी को भोजन देते रहना, सभी को रोजगार मिले, हर मनुष्य को अपनी छत्रछाया मे रखना क्यूंकी आपके अलावा हमारा कोई नहीं"
उनके उत्तर ने मुझे बहुत प्रभावित किया |
फोन रखने के बाद मैं सोचने लगा, कितनी सहजता से उन्होने आईना दिखा दिया और वो पंक्तियाँ आँखों के सामने आ गयी
"कोई चारह नहीं दुआ के सिवा, कोई सुनता नहीं ख़ुदा के सिवा"
आज इन्सानों को अपने सिवा किसी और की फ़िक्र ही कहाँ रह गयी है ?
ये विचार तो कोई संत स्वभाव वाला उदार व्यक्ति ही कर सकता है |
जो सबकी भलाई में अपनी भलाई ढूंढ सके |
Lovely really great
ReplyDeleteThank you :)
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