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Showing posts from 2022

God

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Take a look at the sky. There are many galaxies in the universe. The universe will have formed many galaxies by the time you look at it. Infinite planets, stars, and galaxies will be created before you blink your eyes.  If not God, then who created all of these and destroyed them? If not God, then who is the one who does all this? Who drives the waves of the ocean?  Who is responsible for lighting the stars in the sky? The gardens are filled with blooming flowers. Somewhere the forest is being destroyed.  If not God, then who is the one who does all this? Avinash Jaiswar

It's not just you who is intelligent here

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The way we look atu the world is very limited. Our understanding is limited only to the extent we have seen or the level of our intelligence. There are people more intelligent than us on this earth, so do not try to prove your intelligence right. दुनिया को देखने का हमारा नजरिया बहुत सीमित है। हमारी समझ केवल उस सीमा तक सीमित है, जिस हद तक हमने देखा है या हमारी बुद्धि का स्तर है। इस धरती पर हमसे ज्यादा बुद्धिमान लोग हैं, इसलिए अपनी बुद्धि को सही साबित करने की कोशिश न करें।                                                                              

राधेश्याम सत्यार्थी जी

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Ki. मैं प्रभु का धन्यवाद करता हूँ की मुझे अत्यंत क़रीब से राधेश्याम जी का जीवन देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ |  आपके अंदर गूढ़ शब्दों को सहजता से समझने और समझाने की अद्भुत कला थी |  आप की मातृभाषा मराठी ना होने के बावजूद, अक्सर कवि सज्जन मराठी भाषा मे कविताएँ लेकर आपके पास आते और उसे जाँचने के लिए प्रार्थना करते तो आप उसमें काव्यदोष को बड़ी सहजता से ठीक कर देते | कई बार आप किसी काव्य पंक्ति में सिर्फ थोड़ा सा बदलाव कर उस कविता में चार चाँद लगा देते | आपकी रचनाओं की गहराई का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, स्वयं सत्गुरु बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने अपने विचारों में आप के काव्य पंक्तियों से जुड़े भाव व्यक्त किए ।  आपको करीब से जान ने वाले इस बात से भली - भांति परिचित हैं की आप का  व्यक्तित्व  शांत और गंभीर जरूर था परंतु संवाद करते हुए बीच में हास्य पैदा करने की कला भी आपको ख़ूब आती थी |   हंसी - मज़ाक में अक्सर आप बड़ी गहरी बातें  सहजता से   कह जाते थे |  मुझे याद आता है, एक बार आप से बात करते हुए आपने कहा, दुनिया में खाने - पीने के समान में एक ही (Real) असली चीज बची थी,   इन्सानों ने उसे भी

Effect of jealousy | ईर्ष्या का प्रभाव

किसी को मुझसे ज्यादा सम्मान क्यूँ मिल रहा है ?  सामने वाले इंसान के पास इतनी बेहतर गाड़ी, घर, नौकरी क्यूँ है ? यदि किसी की प्रसन्नता या सुख आपकी ईर्ष्या का कारण बन जाये तो यह इशारा है की  आप पतन की ओर अग्रसर हो चुके हैं | Why is someone getting more respect than me? Why does the person in front of me have such a nice car, house, job? If someone's happiness becomes the reason for your jealousy, then  it is a sign that You are headed for a downfall. Avinash Jaiswar

आडंबर कविता

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आडंबर ( कविता अंश) -------------------- लज़ीज़  मिठाई सी तुम्हारी बातें  जिनमे रस टपकता था आकर्षित हो रहे थे लोग और चाहते थे तुम्हे पाना, मगर एक समय सीमा थी तुम्हारी,  तुम्हारे रसीले शब्दों की,  वो देखो जैसे-जैसे समय बिता  चालाकियों और फरेब की चींटियों ने घेर लिया तुम्हेँ, जब काम और तृष्णा की मक्खियां  भिनभिनाने लगी तुम पर  तुम तो दुर्गन्ध वाले बन गए, मैंने कहा था ना अमर नही हो तुम, ना तुम्हारे बनावटी शब्द, ये बात अलग है तुम्हारे गुण गाने वाले  तुम्हारे साथ थे उस क्षण तक, जब तक मिठास गायब नही हुई थी, पर अब देखो कहीं भी किसी होंठ पर, तुम्हारा नाम नही है,  प्रतीक्षा करो कुछ देर और जब तुम्हें, कूड़ेदान का रास्ता दिखाया जाएगा । Avinash Jaiswar

सफ़र कविता | Safar Poem

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कविता: सफ़र /Safar जाने कब कोशिशों के पंख कतर दिए गए                            हौसला उड़ ही न पाया चाहत की जमीं से चर्चा भी चली सुगबुगाहट भी होती रही                          कोई नहीं आया तसल्ली के बोल लेकर सब तमाशबीनों की तरह आँखें गड़ाये थे                          बेताब था सारा शहर उसे टूटता देखने को जाने कहाँ से एक रौशनी आयी ठहर गई                          ऐसा लगा दूर किसी सफ़र से आई हुई है फिर क्या था आँखें चमक उठी एकदम                           गिरते पड़ते फिर उठ गया वो जाने कैसे  अमीर-ए-शहर  को एक बार फिर मात देकर हताशा के लिपटे हुए धूल झटक कर  पर इस बार जरूर कहीं कुछ बदला हुआ था                          क्यूंकी  चेहरे पर ना कोई ख़ुशी थी ना ग़म  निकल पड़ा फिर कहीं बिना सोचे समझे                          सफ़र जारी रखना यही उसका ख्वाब था Avinash Jaiswar

Don't Make Opinions | अनावश्यक राय ना बनाएँ

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संकीर्ण मानसिकता के लोगों की आदत होती है वो दूसरों को देखकर तुरंत उनके बारे में राय बना लेते हैं  |  हो सकता है वो हमारी सोच से कई गुना बेहतर इंसान हो या हमारे मन में बनाई हुई छबि से काफी विपरीत हो  | चाय की प्याली को सिर्फ देखकर कोई नहीं बता सकता  उसमें शक्कर मिली हुई है या फीकी है | सिर्फ उसे पीनेवाला तुरंत बता सकता है उसका स्वाद कैसा है |  जो भावनाएं हम दूसरों के लिए रखते हैं, हो सकता है  दुनिया भी हमें उसी नजरिए से देख रही हो | People with narrow minds have a habit of seeing others and forming an opinion about them immediately. Maybe he is a much better person than we think or is quite the opposite of the image we have in mind. One cannot tell by looking at a cup of tea whether it has sugar or not. The taste can only be detected by the drinker. The feelings we have for others, the world may be looking at us from the same perspective Avinash Jaiswar

कौन हैं सिंधुताई सपकाळ । Who Is Sindhutai Sapkal

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पिछले कुछ घंटों में आप में से अधिकतर लोगों ने Social Media पर  सिंधुताई सपकाळ जी की तस्वीर जरूर देखी होगी | आप में से बहुत सारे लोग उनके बारे में पहले से जानते होंगे | जो इनके बारें नहीं जानते होंगे वो अब जरूर जान गए होंगे,  इससे पहले कई नेता, अभिनेता, और बड़े प्रभावशाली लोगों की भी मृत्यु हुई है परंतु जनता में इतना स्नेह बहुत ही मुश्किल से किसी के प्रति देखा गया है ।  वो केवल कुछ हज़ार अनाथ बच्चों को आसरा देने वाली समाज सेविका नहीं थी |  उनके व्यक्तित्व की गहराई को इन आंकड़ों से नहीं समझा जा सकता ।  आज अनगिनत संस्थाएं अनाथ बच्चों के लिए कई कार्यक्रम चला रहे हैं, परंतु बच्चों को ममता केवल माँ का कोमल हृदय ही दे सकता है | उन्होने अपने साक्षात्कार में बताया किस तरह वो भूखी दर - दर भटकने के दिन देख चुकी हैं लेकिन उस दौरान भी उनके अंदर अनाथ और लाचार लोगों के प्रति सहानुभूति थी, और इसी बात ने उन्हें  जीवन में आगे बढ्ने को प्रेरित किया |   "कबीर सोई पीर है, जो जाने पर पीर ।  जो पर पीर न जानई, सो काफिर बेपीर ॥" सच्चा संत (पीर) वही है जो दूसरे की पीड़ा को जानता हो, उसे समझता हो |  जो द

Love And Respect | प्रेम और सम्मान

यदि आपको किसी इंसान से प्रेम और  सम्मान मिलने की अपेक्षा थी, परंतु किसी कारणवश आपको  मिल  नहीं पाया | आपके मन में अगर उस बात की टीस रह गई है, तो इस भावना से उबरने का तरीका यही है कि, आप किसी ऐसे व्यक्ति को वही प्यार और सत्कार दें जो आपसे भी वही  उम्मीद कर रहा है  |  आप देखेंगे की आप वही खुशी महसूस कर रहे हैं जिसकी आपको अपेक्षा थी | If you expected to get love and respect from a person, but due to some reason, you could not get it. If there is a prick of that matter in your mind, then the way to overcome this feeling is to give the same love and hospitality to someone who is expecting the same from you. You will see that you are feeling the same happiness that you expected. Avinash Jaiswar

महान सावित्रीबाई फुले | Great Savitribai Phule

आज महिलाओं और पुरुषों मे समानता का अधिकार केवल किताबों तक सीमित नहीं रहा है | इस परिस्थिति को यहाँ तक पहुँचने में कई सौ साल बीत गए |  जब सावित्रीबाई फुले जी (Savitribai Phule) का जन्म हुआ उस समय तक महिलाओं को पढ़ने का अधिकार तक नहीं था | घर से बाहर निकालने वाली महिलाओं समाज मे कई संकटों का सामना करना पड़ता था |  कई समाज सुधारकों को बहुत लंबी लड़ाइयाँ लड़नी पड़ी | फिर चाहे  सती प्रथा हो या विधवा स्त्रियॉं को पुनर्विवाह का अधिकार दिलवाना हो इन तमाम सुधारों को लागू करना अत्यंत कठिन कार्य रहा |  सावित्रीबाई (Savitribai) फुले जी भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल बनीं | कई लोग शुरुआत से ही उनके काम में बाधक बनकर खड़े हो गए | लेकिन ज्‍योतिबा फुले और  सावित्रीबाई फुले का हौसला डगमगाया नहीं इन्होनें मिलकर महिलाओं के अधिकार की लड़ाई लड़ी और कामयाब हुए | महिलाओं तथा समाज के कमजोर एवं वंचित वर्गों के उत्थान के लिए जीवनपर्यंत जो संघर्ष किया, वो हम सभी के लिए प्रेरणादायक है। नारी शिक्षा की अलख जगाने वाली, देश की प्रथम महिला शिक्षिका एवं समाज सेविका  सावित्रीबाई फुले जी की जयंती पर उन्हें कोटि-क