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Showing posts from December, 2021

What is the right way of praying? Answer is here

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Are you trying to find an answer? Today while talking to someone, my father suddenly handed over his phone to me, and said "Talk to him" I took the phone and said,  "Hello Ji, Namaste" I heard the joyous voice of an elder from the front. He asked about my wellness and said, How are you son? The grace of God and your blessings I replied. In the past, your father has mentioned you many times to me, but I have never had the chance to speak with you. I asked him about his well-being and said, "Nice to talk to you" He said that you always be happy, and God keeps everyone happy, and keep everyone healthy. After this, he said something that anyone would be compelled to think about after hearing it. He continued in the same joyful voice, Dear, whenever I wake up in the morning, I pray to God for everyone and say, "God, keep everyone in good health, provide food to everyone, get employment for all, keep every human under your protection because we have none ot

बंधन मुक्त जीवन का रहस्य | Bandhan Mukt Jivan Ka Rahasya

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 भागना नहीं जागना सीखिये ज्ञानी जन जब ये कहते हैं की यह संसार नश्वर है और हर वस्तु का एक दिन अंत हो जाएगा तो उनका अर्थ यह नहीं होता की सब कुछ छोड़ कर बैठ जाना है, इसके विपरीत विवेकी पुरुष इसमें भाग भी लेता है | भौतिक वस्तुओं से मिल रहे उन सुखों का उपभोग भी करता है और साथ - साथ निर्लेप भी रहता है  | क्यूंकी जिसने सत्य को जान लिया वो किसी सोये हुए मनुष्य की भांति नहीं जीता | ज्ञानी सदैव जागा हुआ होता है और जागने का अर्थ सिर्फ बाह्य इंद्रियों से जागना नहीं होता |  सर्वकर्माणि मनसा संन्यस्यास्ते सुखं वशी। नवद्वारे पुरे देही नैव कुर्वन्न कारयन्   ।।5.13।। ज्ञानी  जिसकी इन्द्रियाँ और मन वश में हैं, ऐस पुरुष  नौ द्वारों वाले नगर (भौतिक शरीर) में बिना कुछ किये अथवा विवेकपूर्व कार्य करते हुए सुखपूर्वक रहता है |  विवेकी सज्जन कभी पलायन नहीं करता वो पलायन करने को संन्यास नहीं मानता |  वो ऐसा कौन सा रहस्य है, जिसके बाद ऐसा करना संभव हो सकता है | जहां इस शरीर रूपी नगर मे रहकर भी इसमे लिप्त होना जरूरी नहीं ? कर्म की ऐसी व्याख्या केवल ईश्वर कृपा से प्राप्त होती है अथवा कोई मार्गदर्शक ही जीवन मे आकार इ

Nature Of Saint | संत प्रवृति | Sant Swabhav | संत स्वभाव | Sant Pravriti

संत प्रवृति  जितना समझे  उतना उलझे  पर मक़सद  हाथ ना आया है  जीवन गणित को अपने दम पर हल कहां कोई कर पाया है ग़ाफ़िल इंसान  को जब  वजूद का  कोई  प्रश्न  सताया है ख़ुदा कई  बार नया  रूप बदल हर  उत्तर साथ में लाया है  रुसवाई  हासिल हो  बेशक  पर अपना  काम  नहीं छोड़ा दुनिया की तल्ख़ियों को  हंसकर संतों  ने गले  लगाया है अपने हिस्से  ज़ख्म  मिले हों  फिर भी  सह कर मुस्काना या-रब कुछ लोगों ने कितना मुश्किल किरदार निभाया है ख़ुश्बू  मक़्सद है  जिनका  ख़ार से  उनको  मतलब  क्या फूलों ने  अपने  जीवन  से  मुख़्तसर  यही  समझाया  है  इल्तज़ा है  "साहिब" इतनी सी राहत संसार को देना  तुम कुछ इंसानों  ने  धरती  को  नुकसान  बहुत  पहुंचाया  है  Avinash Jaiswar

विश्वास, भक्ति, आनंद एक दिव्य यात्रा | Vishwas, Bhakti, Aanand Ek Divya Yatra

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जीवन का उद्देश्य तलाशता हुआ मनुष्य  अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखने वालों ने इसे नीला ग्रह कहकर संबोधित किया ।  इस ग्रह पर फैले विशालकाय महासागर, घने जंगल, बादलों को छूने वाली पर्वत श्रृंखलाएं, बस देखते बनती हैं ।  प्रकृति के इन्हीं खूबसूरत नजारों के बीच रहते हैं 'परमेश्वर की सर्वश्रेष्ठ कलाकृति कहलाए जाने वाले, "मानव" ।  आदिमानव के रूप में वनों में दौड़ -भाग कर शिकार करने से लेकर, आज प्रगति की बुलंदियों तक पहुंचने वाले मनुष्यों ने कितने कमाल का सफर तय किया है । इन उपलब्धियों के लिए आज समस्त मानव जाति बधाई की पात्र है ।  परंतु भोजन के लिए जंगलों में लगाई हुई दौड़ से लेकर आज सुख - सुविधाओं के लिए दिन रात दौड़ने वाला मानव उन्हीं भौतिक (दुनियावी) वस्तुओं में उलझकर रह गया, और उन्हीं में अपना सुकून ढूंढने लगा । ये सारी वस्तुएं कुछ क्षण का सुख तो जरूर दे सकतीं हैं पर एक सीमा के बाद नीरस हो जाती हैं ।  और फिर सारी भाग दौड़ जैसे व्यर्थ प्रतीत होने लगती है।  जैसे संत कबीर कहते हैं  वस्तु कहीं, ढूंढे कहीं,.... केहि विधि आवे हाथ.. ! कहे कबीर वस्तु तब पाईये.. भेदी लीजे साथ..!! कोई मार्गद

मेरे घर अचानक आए Santa Claus | Mere Ghar Achanak Aaye Santa Claus

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आज 25 दिसम्बर की शाम, हमारे घर से कुछ दूरी पर स्थित चर्च की दो बुजुर्ग सिस्टर्स (नन), अचानक पिताजी और माँ से मिलने हमारे घर आ गए |  मैं उन्हें जानता नहीं था और इससे पूर्व कभी देखा भी नहीं था इसलिए मैं थोड़ा चौंक गया !  पिताजी ने हमेशा की तरह मुस्कुराकर जान - पहचान कराते हुए कहा "ये हमारा बेटा है जी, अविनाश" |  हालांकि, मैं तैयार ही था पर उस से पहले ही पिताजी ने इशारा कर दिया, "बेटा, पैर छूओ" | अब आप उम्र में भले ही कितने भी बड़े क्यूँ न हो जाएँ, चाहे कितने भी समझदार बन जाएँ, लेकिन हर हिन्दुस्तानी माँ - बाप  का यह अधिकार क्षेत्र उनसे कोई नहीं छिन सकता | मैंने भी उनसे आशीर्वाद लिया, और उनसे आगे की सारी बातें की, उन्होने भी हाल - चाल पूछा और फिर सारी बातें हुई | भारत के दक्षिण भाग से आने के कारण वो दोनों बहनें (चर्च की सेवा में रहने वाली महिलाओं को नन अथवा सिस्टर कहा जाता है ) टूटी - फूटी हिन्दी का प्रयोग करने की कोशिश कर रहे थे |  मुझे माँ-पिताजी के सामने इतराने का मौका बहुत ही कम मिल पाता है, इसलिए मैंने इस मौके को हाथ से जाने नहीं दिया और लंबे - लंबे अँग्रेजी शब्दों क

Why is your mind restless ?

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You will see trains coming and going while sitting on a bench at a railway station. There will be sellers of goods at the station. If someone's train is about to depart, they will run as fast as possible towards the platform. The person who came to receive someone at the station will look at every face to find that person.   If someone is traveling without a ticket, he must be hiding his eyes in an attempt to escape. Similarly, someone will also be on vacation for the first time in a very long time, so he's very happy. A person who has lost his loved one can also be seen. At this point, he must leave all work and go to his family to console them. For a first-time train traveler, everything from the railway station to the tracks will be a matter of curiosity. Now take a look at yourself and ask yourself, do any of these people make a difference in your sadness, your happiness, your despair, or your joy? You might be thinking that when no one knows me, then why should anyone care

मन बिना वजह क्यों दौड़ता है ? | Mann bina wajah kyun daudta hai

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                                          किसी रेल्वे Station की बेंच पर बैठे - बैठे नजर घुमाइए, आप देखेंगे हर कुछ मिनट में ट्रेन आती है, चली जाती है | आपको दिखाई देगा की सामान बेचने वाले सामान बेच रहे होंगे | जिस इंसान की ट्रेन छूटने वाली है वो तेज़ रफ्तार से प्लैटफ़ार्म की ओर दौड़ता हुआ नजर आयेगा | कोई इंसान अपने किसी पहचान वाले को लेने आया है तो उसकी निगाह सिर्फ और सिर्फ उस एक चेहरे को ढूँढ रही होगी |  कोई बिना टिकिट लिए यात्रा कर रहा होगा तो वो बचने के लिए नजर छिपा कर भागने की कोशिश कर रहा होगा | वहाँ कोई ऐसा भी होगा जो बहुत दिनों बाद घूमने जा रहा हो इसलिए वो बहुत खुश है |  कोई दुखी इंसान भी दिखाई दे रहा होगा क्यूंकी उसके पहचान वाला कोई शख़्स इस दुनिया को अलविदा कह गया, अब सारे काम छोडकर उसके परिवार को सांत्वना देने जाना पड़ रहा है |  यदि कोई पहली बार ट्रेन का सफर करने जा रहा है तो उसके लिए रेल्वे स्टेशन से लेकर ट्रेन पटरियाँ तक सब कुछ एक कौतूहल का विषय होगा |  अब एक बार खुद की ओर नजर करिए और पूछिये क्या इनमें से किसी को भी आपके दुख, आपके सुख, आपकी निराशा या आनंद से फर्क पड़ रहा है ? आपक

समय बड़ा बलवान | Time is stronger than anyone

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आज कल एक ख़बर सुर्खियों में है । मुगल साम्राज्य के अंतिम शासक बहादुर शाह ज़फ़र की प्रपौत्र वधु (Great Grand Daughter in Law)  सुल्ताना बेगम जिन्होंने दावा किया है की वो मुगलों की वंशज हैं  ।  अब वो प्रसिद्ध लाल किले पर अपना हक़ दुबारा पाना चाहती हैं । लेकिन आज कल वो बहुत ही दयनीय स्थिति में कोलकाता की एक मज़दूर बस्ती में रहती हैं ।  मुग़ल शासन जब अपने चरम पर था तब पूरी दुनिया में कम से कम एक चौथाई हिस्सों पर मुगलों का राज़ था । भारत पर भी बहुत लंबे समय तक  हुकूमत करने वाले मुग़ल साम्राज्य के वंशजों का ये हाल होगा कभी किसी ने सोचा नहीं होगा ।   एक वक्त देश में ऐसा भी था जब मुगलों के खौफ़ से लोग सहमे हुए रहते थे । बहुत बड़ा रक्तरंजित इतिहास इस देश की मिट्टी में दफ़न है, जहां कई वीरों ने इनके जुल्म के खिलाफ़ आवाज बुलंद करके वीरता का परिचय दिया ।  इतिहास बताता है की इसी ज़ुल्म-ओ-सितम के चलते अनगिनत उद्वस्त हुए परिवारों ने इन्हें श्राप दिया था कि तुम्हारा नाम-ओ-निशान मिट जायेगा और एक दिन कोई तुम्हें पूछने वाला भी नहीं होगा ।  दुर्बल को न सताइये, जाकी मोटी हाय |  मरी खाल की सांस से, लोह भसम ह

क्या आपके मन में कभी यह सवाल आया है ?

इस संसार में रहते-रहते इंसान यह भूल जाता है कि यह शरीर नश्वर है और इसी भूल के कारण उसका मन हमेशा के लिए इस नश्वर दुनिया से बंध जाता है ।   इस भ्रम से बचने का सबसे प्रभावी तरीका यही है कि यह बात हमेशा याद रहे की कोई भी इंसान इस दुनिया में हमेशा के लिए नहीं रहता है। हर किसी को एक न एक दिन इस संसार से जाना ही पड़ता है इसलिए शरीर और सांसारिक पदार्थों से आगे के बारे में सोचना जरूरी है | कुछ ऐसा जो मृत्यु के पश्चात भी कायम रहे | एक साधारण इंसान सारी जिंदगी सिर्फ शरीर के सुख सुविधा जुटाने मे खर्च कर देता है और एक विवेकी मनुष्य कभी न कभी इस प्रश्न के बारे में जरूर सोचता है की उसका अस्तित्व क्यूँ है ?  क्या सिर्फ जीना और एक दिन मर जाना यही इस जीवन का उद्देश्य है ?  जिस किसी के मन मे यह प्रश्न आया और इसका उत्तर ढूंढने की कोशिश की वो कहीं न कहीं एक कदम सही रास्ते की ओर बढ़ा ही लेता है  | "आए हैं सो जाएँगे , राजा रंक फकीर,  एक सिंहासन चढ़ि चले , एक बँधे जात जंजीर"   चाहे राजा हो या भिखारी सभी को इस संसार से जाना ही है , परंतु जिस किसी ने भी  अ पने इस संसार मे आने के मकसद को जान लिय

Have you ever had this question in your mind?

Living in this world makes a person forget that this body is mortal and that their mind is forever tied to this mortal world. One of the most effective ways to overcome illusion is to remember that one does not live in this world forever. Everyone will leave this world at some point, so it is necessary to think beyond the body and material things, which will still be useful even after death. Most wise people ask themselves why they exist. Is the only purpose of this life to live and die one day? Whoever has this question in his mind and tries to find the correct answer is on the right path. आय हैं सो जाएँगे, राजा रंक फकीर ।  एक सिंहासन चढ़ि चले, एक बँधे जात जंजीर Be it a king or a beggar, both have to die one day. पानी केरा बुदबुदा, अस मानुस की जात. एक दिना छिप जाएगा,ज्यों तारा परभात. The human body is also mortal, like a bubble of water. As the stars are hidden at dawn, so will this body be destroyed one day. Avinash Jaiswar